खुद को बदलो, दुनिया बदल जाएगी
खुद को बदलो, दुनिया अपने आप बदल जाएगी। लकीर पीटने से आदमी बेवक्त बूढ़ा हो जाता है। सोच संकुचित हो जाती है और फिर शुरू हो जाता उसका चतुर्दिक ह्रास। यह कहना है जाने माने कार्टूनिस्ट, चित्रकार आबिद सूरती का। गुरुवार को इलाहाबाद संग्रहालय में सृजन परिवेश व्याख्यानमाला के तहत श्री सूरती ने अपने तजुर्बे को बखूबी श्रोताओं के बीच बांटा। कहा कि हर आदमी अपने वक्त की सोच के साथ आगे बढ़ता है। जब हम किसी के बारे में नकारात्मक सोचते हैं तो उसका सबसे पहला असर अपने ऊपर ही पड़ता है। इसलिए हमेशा नकारात्मक सोच से दूर रहना चाहिए। परंपराएं अच्छी होती हैं लेकिन उनके पीछे भौगोलिक परिवेश की भी अहम् भूमिका होती है। अत: परंपराओं का अंधानुकरण करने के पहले अपने मन से ही सवाल उठाने चाहिए। जब सवालों के जवाब मिल जाएं तो समझिए कि परंपराएं समसामयिक व जीवनोपयोगी हैं।
श्री आबिद ने कहा 'मैं जानकर चलने वालों में से हूंॅ, मानकर चलने वालों में नहीं।' अपने दिमाग को हमेशा सचेत रखने की जरूरत है ताकि कोई नकारात्मक बाहरी तत्व उसमें अनावश्यक प्रवेश न कर सकें। उन्होंने अनेक ऐतिहासिक उदाहरणों से अपनी बात पुष्ट भी की। हास्य का पुट लिए अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि आज जरूरत है नई सोच की।
कार्यक्रम की शुरुआत संग्रहालय के नए निदेशक नरेश पुरोहित के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। अध्यक्षता साहित्यकार गिरीश पाण्डेय ने की। संचालन डा. राजेश मिश्र ने की। इस मौके पर संग्रहालय के पूर्व निदेशक डा. एसके शर्मा, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक आनन्द वर्धन शुक्ल, डा. अजय जेटली, डा. विभा मिश्रा, डा. प्रभाकर पाण्डेय, अनिल रंजन भौमिक आदि उपस्थित रहे।
संगम दर्शन कर मनाया जन्मदिन
इलाहाबाद : आबिद सूरती ने गुरुवार को संगम के दर्शन किए। कहा कि 'संगम में जन्मदिन मनाने की वर्षो की हसरत आज पूरी हुई।' श्री आबिद ने एक कला पारखी की ही भांति कम और सधे हुए शब्दों में अपने अनुभव बांटे और युवा पीढ़ी को नसीहत भी दी। जल सरंक्षण अभियान में युवाओं से अपील कि वे ऐसे सामाजिक कार्यो में बढ़चढ़कर हिस्सा लें।
श्री आबिद ने कहा 'मैं जानकर चलने वालों में से हूंॅ, मानकर चलने वालों में नहीं।' अपने दिमाग को हमेशा सचेत रखने की जरूरत है ताकि कोई नकारात्मक बाहरी तत्व उसमें अनावश्यक प्रवेश न कर सकें। उन्होंने अनेक ऐतिहासिक उदाहरणों से अपनी बात पुष्ट भी की। हास्य का पुट लिए अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि आज जरूरत है नई सोच की।
कार्यक्रम की शुरुआत संग्रहालय के नए निदेशक नरेश पुरोहित के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। अध्यक्षता साहित्यकार गिरीश पाण्डेय ने की। संचालन डा. राजेश मिश्र ने की। इस मौके पर संग्रहालय के पूर्व निदेशक डा. एसके शर्मा, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक आनन्द वर्धन शुक्ल, डा. अजय जेटली, डा. विभा मिश्रा, डा. प्रभाकर पाण्डेय, अनिल रंजन भौमिक आदि उपस्थित रहे।
संगम दर्शन कर मनाया जन्मदिन
इलाहाबाद : आबिद सूरती ने गुरुवार को संगम के दर्शन किए। कहा कि 'संगम में जन्मदिन मनाने की वर्षो की हसरत आज पूरी हुई।' श्री आबिद ने एक कला पारखी की ही भांति कम और सधे हुए शब्दों में अपने अनुभव बांटे और युवा पीढ़ी को नसीहत भी दी। जल सरंक्षण अभियान में युवाओं से अपील कि वे ऐसे सामाजिक कार्यो में बढ़चढ़कर हिस्सा लें।
No comments:
Post a Comment