Tuesday 27 December 2011

Honesty is the best policy

Honesty is the best policy
जब हम स्कूल में पढ़ते थे तब हमें सिखाया गया था कि ‘ Honesty is the best policy ‘. यह हमारे पीढी के हम जैसे लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिशा निर्देशक सूत्र था. अंग्रेजों की गुलाम से देश आज़ाद हुआ था. महात्मा गाँधी, पंडित जवाहर लाल नेहरु, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, डा. भीम राव अम्बेडकर, डा. राजेन्द्र प्रसाद, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, डा. श्यामा प्रसाद मुख़र्जी , मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, चक्रवर्त्ती राजगोपालाचारी, आचार्य नरेंद्र देव, जय प्रकाश नारायण, पंडित गोविद बल्लभ पन्त, लाल बहादुर शास्त्री, आचार्य कृपलानी, डा राम मनोहर लोहिया, शहीद भगत सिंह, चन्द्र शेखर आज़ाद, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल हमारे ‘ रोल माडल ‘ और आदर्श होते थे. यह लिस्ट किसी भी मायने में सम्पूर्ण नहीं है. बहुत से नाम छूट गए हैं. इनका ज़िक्र आते ही या इनकी तस्वीर के भी दर्शन मात्र से मस्तिष्क श्रद्धा से झुक जाता था. हम इनसे प्रेरणा लेते थे. हर बच्चा इनके जैसा बनना चाहता था. इनकी सादगी, ईमानदारी और आदर्श व्यवहार के उदाहरण आज भी दिए जाते हैं. ये हमारे लिए अनुकरणीय हैं. आज पाता हूँ कि आज़ादी के ठीक बाद से लेकर अब तक सब कुछ बदल गया है. Honesty अब best policy नहीं रह गई है. ईमानदार और सीधे सच्चे आदमी को बेवकूफ समझा जाता है, और बेईमान और तिकडमबाज को चालाक, होशियार, बुद्धिमान और प्रतिभावान. मैं पाता हूँ कि इस नए वातावरण में मैं ‘ मिसफिट ‘ हूँ. जीवन की वास्तविकता कुछ और ही है. आज जो जितना ही धनी है, उतना ही प्रतिष्ठित है, चाहे पैसा कितने ही गलत तरीके से कमाया गया हो. और अगर उसके यहाँ इनकम टैक्स का छापा पड़ा हो तो प्रतिष्ठा में चार चाँद लग जाते हैं. हवाला डीलरों, स्मगलरों, विदेशी बैंकों में धन जमा करने वालों, टैक्स चोरों काला धन वालों की चांदी है. जो जितना बड़ा बेईमान, तिकडमबाज और अपराधी है उसकी समाज में उतनी ही और ज़्यादा प्रतिष्ठा. चारों ओर लूट खसोट, चोरी, हत्या, बलात्कार, अराजकता का बोलबाला है. राजनीति में अनुकरणीय कोई नहीं रह गया है. राजनीति में हत्या बलात्कार जैसे घृणित अपराधों में आरोपित लोगों का प्रवेश हो गया है. कुछ तो न केवल सदन और विधायिका में प्रवेश कर गए हैं बल्कि मंत्रिपद की कुर्सियां भी सुशोभित कर रहे हैं. सीधे सादे, सच्चे और ईमानदार आदमी का अस्तित्व संकट में है. आज के रोल माडल हैं फिल्म कलाकार शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, सैफ अली, कटरीना कैफ, इत्यादि. इनको पद्म श्री जैसी उपाधियों से नवाजा जाता है. मीडिया को देश की ज्वलंत समस्याओं जैसे गरीबी, बीमारी, भुखमरी, बेरोजगारी से कोई सरोकार नहीं रह गया है. टी वी मीडिया राखी सावंत और राहुल महाजन जैसों के स्वयंबर पर ‘ फोकस ‘ करता है. ऐसा लगता है देश में इससे बढ़कर कोई समस्या नहीं रह गयी है. टी वी और फिल्मों नें लोगों की पसंद को, रूचि को विकृत कर दिया है, लेकिन कहा जाता है कि दर्शक यही पसंद करता है. ये लोग कहते हैं कि हम वही परोसते हैं जो दर्शक माँगता है यह एक कुतर्क से ज़्यादा कुछ नहीं है. हमें इस बात पर विचार करना होगा कि हम देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं. हमारे आदर्श क्या होने चाहिए. क्या राष्ट्र निर्माण इसी प्रकार होता है. क्या हमारा रास्ता सही है. मैथिली शरण गुप्त ने लिखा है ‘ हम कौन थे क्या हो गए हैं, और क्या होंगे अभी, आओ विचारें आज मिलकर यह समस्याएं सभी. ‘ 

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